यदि कोई किरायेदार किसी मकान या दुकान में लगातार 12 साल तक किरायेदार के रूप में रहता है, तो क्या ऐसे में आपकी संपत्ति कानूनी रूप से उसकी हो जाएगी? भारतीय कानून के अनुसार, ऐसा नियम है जो 12 साल के किरायेदारी की आधार पर मकान मालिक की संपत्ति पर किरायेदार द्वारा दावा करने की अनुमति देता है, इसलिए मकान मालिक को इस मामले में सतर्क रहना चाहिए।
12 साल का निजी संपत्ति मालिकी नियम
शहरों में आमतौर पर देखा जाता है कि एक मध्यवर्गीय परिवार अपने आय के बेहतर स्रोत के लिए अपनी मकान और दुकान को किराए पर दे देता है।शहरों में मकान और दुकान को किराए पर देना लोगों के लिए एक प्रमुख आय स्रोत के रूप में काम करता है। हालांकि, ऐसे मामले बार-बार प्रकाश में आते रहते है।
संपत्ति स्वामित्व 12 वर्ष का नियम
शहरों में आमतौर पर देखा गया है कि मध्यवर्गीय परिवार अपने मकान और दुकान को किराए पर देते हैं, जो एक बेहतर आय का स्रोत होता है। हालांकि कई बार ऐसे मामले प्रकाश में आते रहते हैं जब थोड़ी सी चुक लोगों को भारी पड़ जाती है और वे अपने मकान और दुकान से हाथ धोना पड़ता है। इसलिए यदि आपने भी किसी दुकान या मकान को किराए पर दिया है, तो आपको प्रतिकूल कब्जे के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है।
प्रतिकूल कब्जे का क्या है अर्थ?
प्रतिकूल कब्जे (Adverse Possession Rules) का मतलब होता है कि जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी जमीन के एक टुकड़े पर मालिक की सहमति के बिना लगातार 12 वर्षों तक किराए एवं कब्जे के रूप में रह रहा हो तो उस व्यक्ति द्वारा जमीन के उस टुकड़े पर अपना स्वामित्व का दावा किया जा सकता है। यह कानून भारत में अंग्रेजों के शासनकाल से ही चला आ रहा है।
प्रतिकूल कब्जे का मतलब होता है कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा किराएदार या अन्य माध्यम के आधार पर लगातार 12 वर्षों तक किसी प्रॉपर्टी पर कब्जा रहा है, तो उस व्यक्ति को उस जमीन या दुकान पर अपने स्वामित्व का अधिकार जताने का अधिकार हो सकता है | इसे अनुच्छेद 65 प्रतिकूल कब्जे धारी के अंतर्गत सिद्धांतों में बताया गया है |
PROPERTY OWNER 12 YEAR RULE
हाँ, यदि किसी व्यक्ति द्वारा आपकी संपत्ति पर शांतिपूर्ण तरीके से लगातार 12 वर्षों तक काबीज रहता है और आपके द्वारा उस व्यक्ति पर लगातार 12 वर्षों तक किसी भी प्रकार का कब्जे का दावा या फिर कानूनी प्रक्रिया की पहल नहीं की जाती है तो, 12 वर्षों बाद आपकी उस संपत्ति का मालिकाना हक उस व्यक्ति द्वारा कानूनी प्रक्रिया के तहत अपना अधिकार जताते हुए उस जमीन का मालिकाना हक पेश किया जा सकता है |
प्रतिकूल कब्जे से मकान मालिक को बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
नियमित मालिकाना हक की जांच करें: मकान मालिक को नियमित रूप से अपनी संपत्ति की जांच करते रहनी चाहिए और यदि वहां किसी प्रकार का अवैध कब्जा दिखे तो तुरंत कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
नियमित किराएदार और गवाही की जांच करें: किराएदार की गवाही एवं विवरण नियमित रूप से जांची जानी चाहिए। किराएदार के नाम से होने वाले हाउस टैक्स, बिजली बिल, पानी बिल आदि की कापी रखें जो मालिकाना हक की पुष्टि कर सकती है।
नियमित विधिक कार्रवाई करें: यदि किसी व्यक्ति द्वारा आपकी संपत्ति पर अवैध कब्जा हो और उसके द्वारा आपकी संपत्ति पर 12 वर्ष तक कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं की जाती है, तो आपको नियमित रूप से विधिक कार्रवाई करते रहनी चाहिए। कानूनी सलाह लें और आपके अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए न्यायालय में याचिका दायर करें,सतर्क रहें।
प्रॉपर्टी ऑनरशिप 12 साल का नियम: यदि किसी व्यक्ति को आपके द्वारा मकान या दुकान किराए पर दिए जाते हैं, तो आपके द्वारा केवल 11 महीने का ही एग्रीमेंट बनाना चाहिए। एग्रीमेंट की समय सीमा के बाद 1 महीने की गैप देकर एक नयी एग्रीमेंट बनाना चाहिए। इस तरीके से आप अपनी प्रॉपर्टी को महीने की गैपिंग देकर अपने निजी स्वामित्व को बनाए रख पाएंगे।
Note: यहां दी गई सलाह केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी विधिक सलाह के लिए व्यवस्थित वकील या विशेषज्ञ से परामर्श करना सुनिश्चित करें।